गंध यानी बास के लिए इतने सारे शब्द हैं कुमाऊंनी में।
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Smell in Kumaoni |
गंध यानी बास, जो किसी पदार्थ से निकलने वाले सूक्ष्म रासायनिक कणों के रूप में हमारी नाशिका (नाक) की घ्राण संवेदी तंत्रिकाओं द्वारा महसूस की जाती है। यह सुगंध भी हो सकती हैं और दुर्गन्ध भी। हिंदी शब्दावली में गंध के लिए कुछ सीमित शब्द हैं, जो समानार्थी शब्द ही होते हैं। जैसे अच्छी गंध के लिए सुगंध और खुशबू जैसे शब्दों का प्रयोग होता है। वहीं दुर्गन्ध के लिए बदबू, बू, बास जैसे शब्द हैं।
कुमाऊंनी भाषा में 'गंध' को आम बोलचाल में 'बास' कहा जाता है, लेकिन इस बास की जगह यहाँ कई ऐसे शब्द प्रयोग में लाये जाते हैं, जिससे हमें ज्ञात हो जाता है कि यह गंध यानी बास किसकी है या किससे आ रही है। यह किसी सड़ी चीज की गंध, किसी जानवर से आने वाली गंध या किसी चीज के जलने की गंध हो सकती है। कुमाऊंनी भाषा में इन सबसे लिए अलग-अलग शब्द हैं।
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यहाँ हम हिंदी भाषा का ही एक शब्द लेकर देखते हैं। जैसे कहीं पर कोई कपड़ा जल रहा होता है तो हम कहते हैं 'देखो कपड़े जलने की बू आ रही है या बास आ रही है।' वहीं कुमाऊंनी भाषा में हम कपड़े जलने की बू के लिए किसी एक ऐसे शब्द का उपयोग करते हैं, जिससे हमें ज्ञात हो जाता है कि यह बू कपड़े जलने की है। आईये विस्तृत में जानते हैं कुमाऊंनी भाषा में गंध के लिए किस-किस शब्द का उपयोग किया जाता है और लोगों के लिए पहचानने में आसान हो जाता है कि यह किसकी गन्ध के लिए कहा जा रहा है।
Smell in Kumaoni Language
- धूपैंन : मासी/नैर का धूप जलाने पर आने वाली सुगंध।
- डडैन : किसी चीज के जलने की बू को कुमाऊँनी में डडैन कहते हैं। जैसे : चाँवल जल गये शायद, डडैन बास आ रही है।
- हन्तरैन : यह किसी कपड़े के जलने की गंध को कहते हैं। जैसे : देखो धैं ये हन्तरैन कां बटि ऐ ?
- भुटैन : यह शब्द किसी चीज के भुन जाने पर आने वाली गंध को कहते हैं। जैसे : आज किसी का घी
- कीड़ैन : बालों के जलने पर जो गंध आती है, कुमाऊंनी में कीड़ैन बास कहते हैं। इस शब्द से लोगों तो पता चल जाता है कहीं बाल जल रहे हैं। वह मनुष्य, जानवर आदि किसी के भी बाल हो सकते हैं।
- सड़ैन : किसी भी सड़ी चीज से आने वाली बू को सड़ैन कहते हैं।
- गनैन : दही, छांछ सड़ने पर एक प्रकार की विशेष गंध आती है, जिसे लोग गनैन कहते हैं।
- स्योतैन : सीलन से पैदा गंध को स्योतैन कहते हैं। कुछ क्षेत्रों सितड़ैन भी कहते हैं।
- कुमस्यैन : फफूँद लगी वस्तु से आने वाली गंध।
- चूरैन : मनुष्य से मूत्र से उत्पन्न गंध को चूरैन कहते हैं। यह बास अक्सर शौचालय, छोटे बच्चों के कपड़ों से आती है। {inAds}
- गुवैन : मनुष्य के मल से आने वाली बू।
- लूलैन : बकरे से एक दुर्गन्ध आती है, जिसे लोग लूलैन बास कहते हैं।
- क्वखैन : मनुष्य के बगल से आने वाली बू।
- खौरैन : लाल मिर्च के जलने से आने वाली गंध। इसे कुछ क्षेत्रों में खौसेन भी कहते हैं।
- द्यौठैन : चीड़ के छिलके जिसमें प्रचुर मात्रा में रेज़िन होता है और वह लाल रंग का दिखता है। इससे एक ख़ास प्रकार की गंध आती है। इस गंध को द्यौठैन बास कहते हैं। वहीं इसके स्वाद को भी द्यौठैन ही कहते हैं कुमाऊँ में।
- भूँभैन : इस अजीब प्रकार की गंध, जिसे सूंघते ही जी मिचलाने लगता है।
- त्यलैन : तेल के जलने पर आने वाली गंध। खाने में तेल का स्वाद आने पर भी त्यलैन शब्द को ही उपयोग में लाया जाता है।
- कुकुरैन : भीगे कुत्ते के एक गंदी बू आती है, यही बू को कुकुरैन बास कह दिया जाता है।
- चुकिलैन : दही-छाछ का खट्टा हो जाने पर आने वाली गंध। चुकिलैन स्वाद के लिए भी बोला जाता है।
- मछैन : मछली की गंध।
- टूटैंन : पेट से गैस छोड़ने पर कुछ लोग बेहद सड़ी बदबू निकालते हैं। सामान्य बोलचाल भी भाषा में इसे टूटैंन बास कह दिया जाता है।
- मटैंन : मिट्टी से आने वाली गंध।
- ढ्यरैन : मांस से आने वाली बू।
- बसैंन : बासी भोजन से आने वाली गंध। वहीं यह शब्द स्वाद के रूप में भी किया जाता है।
- ल्यसड़ैन: घी या मक्कन बासी हो जाने पर बर्तनों से बास आने लगती है, उसे कुमाऊंनी में ल्यसड़ैन कह दिया जाता है।
यह थे कुमाऊनी भाषा में विभिन्न प्रकार के गंध के लिए प्रयोग किये जाने वाले शब्द। इसके अलावा बहुत से ऐसे शब्द में जिन्हें सामान्य बोलचाल में लोग प्रयोग करते हैं। ये सभी शब्द उत्तराखंड के कुमाऊंनी भाषा के शब्दकोष से आप सभी को रूबरू कराने के उद्देश्य के संकलित किये गए हैं।
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