पहाड़ के सौंदर्य से जुड़ा बुरांश और उसके औषधीय महत्व।

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Buransh Flower 

Buransh Flower: सदाबहार पहाड़ी वृक्षों में बसंत के आगमन पर यदि कोई वृक्ष फूलों की बहार बिखेरता है तो वह है 'बुरांश'। बुरांश का नाम आते ही एक ऐसे वृक्ष का दृश्य आंखों के आगे तैरने लगता है जो बड़े-बड़े गुच्छानुमा गहरे लाल रंग के फूलों से लदा है और जो दूर से ही सदाबहार हरे जंगलों के बीच अपनी आकर्षक उपस्थिति दर्शाता है। जी, हां! बुरांश का फूल है ही ऐसा जिसे हर कोई देखना चाहेगा, हर कोई उसे अपने ड्राइंग रूम में सजाना चाहेगा। अगर किसी जगह पर एक साथ दर्जनभर बुरांशके पेड़ खिले हों तो समूचा क्षेत्र ही इनकी चमक से उज्ज्वल होता है। यदि इन जंगलों के बीच से गुजरें तो इनकी सुवास से हृदय खिल उठता है।

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Buransh

बुरांश को अंग्रेजी में ‘Rhododendron’ कहते हैं जबकि वनस्पति विज्ञान में इसे ‘रोडोडेण्ड्रन पोंटिकम’ कहते हैं।  यह शब्द वास्तव में लेटिन भाषा का है जिसमें रोडो का अर्थ ‘गुलाब’ तथा डेण्ड्रन का अर्थ ‘पेड़’ होता है। बुरांश के फूल दूर से भले ही गुलाब से लगते हों परन्तु होते गुलाब से काफी बड़े। इनकी पंखुडिय़ां एकदम सुर्ख लाल, खूब बड़ी और रस से सराबोर। बुरांश की विशेषता यह है कि इसमें फूल एक साथ आते हैं। इसी कारण यह फूलों से एकदम लद जाता है। फरवरी के अंतिम सप्ताह से इसमें फूल आने लगते हैं जो प्राय: अप्रैल के अन्त तक अपनी छटा बिखेरे रहते हैं। इस दौरान पहाड़ों में सर्दियां भी समाप्ति पर होती हैं और बुरांश के जंगलों में घूमने का अपना ही आनन्द होता है। यदि फूल झड़ भी जाएं तो इसके सख्त चौड़े नुकीले पत्ते इतने सुंदर होते हैं कि खाली पत्तों को दूसरे फूलों के बीच कमरे के एक कोने या गुलदस्ते में सजाया जा सकता है। महीनों तक ये पत्ते गुलदान में हरे रहते हैं।

हमारे देश में बुरांश पर ध्यान बहुत देर बाद गया जबकि वनस्पति विज्ञानियों के लिये यह बहुत पहले से उनकी रुचि का विषय रहा है। बुरांश को सबसे पहले एशिया माइनर में देखा गया। उसके बाद मध्य चीन के पहाड़ों में। हमारे देश में बुरांश समस्त हिमालयी क्षेत्र जहां की ऊंचाई 1500 से 3600 मीटर तक है, में पाया जाता है। उत्तर-पूर्व के पहाड़ी राज्यों, उत्तराखंड के कुमांऊ, गढ़वाल, हिमाचल प्रदेश और नेपाल के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बुरांश के पेड़ देखे जा सकते हैं। 

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सदापर्णी वृक्ष बुरांश अथवा बुरुंश उत्तराखंड के सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का अनोखा दर्पण है, इसीलिए इसे राज्य वृक्ष का गौरव प्राप्त है। यहाँ के गीतों में बुरांश का श्रृंगारिक रूप में वर्णन मिलता है, वहीं हिंदी के अनेक कवियों, लेखकों और महापुरुषों को बुरांश के फूलों ने अपनी ओर आकर्षित किया है। 

बुरांश के बारे में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री स्वर्गीय जवाहर लाल नेहरू ने लिखा है - 

  • "पहाड़ियों में गुलाब की तरह बड़े-बड़े रोडोडेन्ड्रन.. बुरूंश पुष्पों से रंजित लाल स्थल दूर से ही दिख रहे थे। वृक्ष फूलों से लदे थे और असंख्य पत्ते अपने नए-नए कोमल और हरे परिधान में अनेक वृक्षों की आवरणहीनता को दूर करने को बस निकलना ही चाहते थे।"


प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत ने बुरांश की सुंदरता पर एक कुमाउनी कविता लिखी है, जिसकी पहली पंक्ति है - 

  • "सार जंगल में त्वि ज क्वे न्हां रे क्वे न्हां, फुलन छै के बुरूंश! जंगल जस जलि जां।"

अर्थात - अरे बुरांश सारे जंगल में तेरा जैसा कोई नहीं है। तेरे खिलने पर सारा जंगल डाह से जल जाता है।  बुरांश शीर्षक से पूरी कविता इस लिंक पर पढ़ें - बुरुंश 


हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि अज्ञेय अपनी प्रियतमा को बुरांश की ओट में चुम्बन की याद दिलाते हुए कहते हैं कि.. 

  • "याद है क्या. ओट में बुरूंश की प्रथम बार। धन मेरे, मैंने जब तेरा ओंठ चूमा था।"


अज्ञेय ने कई बार पहाड़ों के चीड़, बांज और बुरूंश का अपनी कविताओं में वर्णन किया है। उन्होंने एक स्थान पर पहाड़ी क्षेत्र का जिक्र करते हुए अपनी अनुभूतियों को इस तरह प्रकट किया है - 

  • "नयी धूप में चीड़ की हरियाली दुरंगी हो रही थी और बीच-बीच में बुरूंश के गुच्छे-गुच्छे गहरे लाल-लाल फूल मानो कह रहे थे पहाड़ों के भी हृदय हैं, जंगल के भी हृदय हैं।"  


आर्थिक और औषधीय महत्व 

  1. औषधीय गुण 

    • बुरांश के फूलों से बनाया गया  जूस ह्रदय रोगियों के लिए लाभकारी है। 
    • बुरांश का रस लीवर सम्बन्धी बीमारी, गठिया के दर्द, सूजन, ब्रोंकाइटिस को कम करने कारगर है। 
    • यह रक्तचाप को नियंत्रित करने और थकान को दूर करने में सहायक है। 
    • बुरांश के फूल के जूस में क्वेरसेटिन और रुटिन फ्लेवोनोइड्स की मौजूदगी पाई गई है, जो कैंसर जैसे घातक बीमारी के विकास को रोकने में कारगर हो सकती है। 
    • बुरांश के लाल फूल में मजबूत एंटीवायरल पाए जाते हैं। कुछ वर्ष पहले इसका उपयोग SARS-CoV 2 के लिए वैक्सीन बनाने में किया गया था।

बुरांश से बने उत्पाद  

  • बुरांश के फूलों का जूस/स्क्वैश आजकल बेहद लोकप्रिय हो रहा है। अपने औषधीय गुणों के साथ-साथ यह गर्मियों के लिए शीतल पेय है। 
  • इसके फूलों से बना अचार और चटनी बेहद स्वादिष्ट और गुणकारी होती है। 
  • बुरांश से चाय भी बनाई जा रही है। इसके औषधीय गुणों को देखते हुए लोग बड़े शौक से इसकी चाय पीते हैं। 
  • इसके अलावा बुरांश की लकड़ी बेहद ही उत्तम किस्म ही होती है। जिससे महंगे और टिकाऊ लकड़ी के उत्पाद बनाये जा सकते हैं। 
  • बुरांश के सूखे पत्तों से बनी खाद पहाड़ों में खेतों के लिए अच्छी मानी जाती है। यहाँ के स्थानीय लोगों को कहते सुना गया है कि इस जैविक खाद में उर्वरा शक्ति बहुत जाता होती है और फसलों में कीड़ा भी कम लगता है। 
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Buransh Juice Benefits

बुरांश का जूस आज के समय में स्वास्थ्य के लिए अमृत सामान है। हिमालय के गोद में उगे बुरांश के लाल सुर्ख खूबसूरत फूलों से तैयार जूस में कई ऐसे औषधीय गुण विद्यमान हैं, जो सेहत के लिए बेहद फायदेमंद हैं। आईये जानते हैं बुरांश के जूस के फायदे -

  • बुरांश के जूस का स्वाद खट्टा-मीठा होता है, जो मनुष्य के पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है। यह अपच, पेट दर्द जैसी समस्याओं में लाभ प्रदान करता है। 
  • बुरांश के जूस में विद्यमान एंटीऑक्सीडेंट मनुष्य के हृदय को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका रखते हैं। यह कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है और रक्तचाप नियंत्रित करता है। जिससे हार्ट अटैक जैसी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। यही गुण इसको महत्वपूर्ण पेय की श्रेणी में रखता है। 
  • गर्मियों में बुरांश का जूस पीने से शरीर को शीतलता मिलती है और लू लगने का खतरा कम रहता है। 
  • शरीर को ऊर्जावान और तरोताजा रखने के लिए बुरांश का जूस उत्तम माना गया है। 
  • खांसी और गले की समस्याओं के लिए यह जूस रामबाण का काम करता है। यह फेफड़ों की सफाई भी करता है। 
  • बुरांश के ताजे फूलों को जल्दी घाव भरने के लिए पीसकर भी लगाया जाता है। 
  • मूत्र विकार में बुरांश का जूस लाभ प्रदान करता है।  

 

पर्यावरणीय महत्व 

  1. बुरांश, न केवल खूबसूरती के लिए अपितु पर्यावरण के लिए के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। बुरांश के पेड़ कई तरह के पशु-पक्षियों के घर का काम करते हैं वहीं इसके फूलों से मधुमक्खियां शहद तैयार करती हैं। जो जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करते हैं। 
  2. बुरांश की चौड़ी पत्तियाँ पहाड़ों में होने वाली मूसलाधार बारिश की गति को धीमी करती हैं वहीं इसकी जड़ें मृदा अपरदन को रोकती हैं। इसीलिये जहां बुरांश के वन होते हैं वहां भूस्ख़लन का खतरा कम होता है। 
  3. बुरांश के पेड़ जल संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 
  4. बुरांश के पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर ऑक्सीज़न प्रदान करते हैं 
  5. बुरांश के पेड़ छायादार और सदाबहार होते हैं, जिस कारण ये गर्मी को कम कर ठण्ड को बढ़ाते हैं। 


संरक्षण की आवश्यकता 

वनों के अवैध कटाई और कुछ वर्षों से बुरांश के फूलों अत्यधिक दोहन से आज इस सदापर्णी पेड़ के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहे हैं। हमें चाहिए कि हम खुद इसके संरक्षण के लिए आगे आयें और इसके बेतहासा दोहन पर लगाम लगायें। हम इसके औषधीय लाभ तब ले पायेंगे जब बुरांश के पेड़ का अस्तित्व बना रहेगा। 

 

अस्वीकरण : बुरांश के औषधीय गुणों से सम्बंधित यह जानकारी केवल सूचना के उद्देश्य से है। इसे किसी भी चिकित्सा सलाह के रूप में न लें। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए हमेशा किसी योग्य चिकित्सक की सलाह लें।