Keeda Jadi: ताकत का खजाना है यह सोने से महँगी जड़ी।

keeda jadi
Keeda Jadi (Caterpillar fungus)


उच्च हिमालयी क्षेत्र कई ऐसे दुर्लभ जड़ी-बूटियों के भंडार हैं, जो हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं। इनका उपयोग आयुर्वेद में चिकित्सा के लिए प्राचीन काल से होता चला आ रहा है। ऐसी ही एक जड़ी है जिसे हम "Keeda Jadi" ,  यारसागुम्बा या कॉर्डिसेप्स के नाम से जानते हैं। पारम्परिक चीनी और तिब्बती चिकित्सा पद्धति में इसे ताकत, स्टैमिना और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए बहुत ही प्रभावी माना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम Ophiocordyceps sinensis है। आईये विस्तृत में पढ़ते हैं इस हिमालयन जड़ी के बारे में -

{getToc} $title={Table of Contents} $count={Boolean} $expanded={Boolean}

कीड़ाजड़ी का स्वरुप 

Keeda Jadi यानी कीड़ाजड़ी, हिमालय के बर्फीले इलाकों जहाँ का तापमान माइनस दो से तीन डिग्री या उससे कम होता है में मिलने वाला एक तरह का कवक है, जो एक हैपिलस फैब्रिकस नामक कीड़े (कैटरपिलर) के शरीर पर पनपता है। कीड़ाजड़ी का विकास इस कैटरपिलर के शरीर में कवक के बीजाणु जाने से शुरू होता है। सर्दियों में अत्यधिक बर्फ पड़ने से यह कैटरपिलर मर जाता है और कवक इसकी कोशिकाओं पर नियंत्रण कर अपना विकास करता है। सर्दियाँ समाप्त होते ही ऊँचे पहाड़ों में बर्फ पिघलने लगती है और यह कवक कीड़े के सिर से पनपने लगता है और यह मिट्टी उग आता है।  पीले-भूरे रंग की इस जड़ी का आधा भाग कीड़ा और आधा भाग एक जड़ी जैसा प्रतीत होता है। इसलिए इसे 'कीड़ाजड़ी' नाम दिया गया है। इसकी लम्बाई करीब 2 इंच तक होती है।  

{inAds}

वितरण एवं उपस्थिति 

कीड़ाजड़ी (Caterpillar fungus) मुख्यतः भारत के हिमालयी राज्य उत्तराखंड, हिमाचल, सिक्किम के 3500 से 5000 मीटर की ऊंचाई वाले अति ठंडे और बर्फीले क्षेत्रों में पाया जाता है। इसके अलावा नेपाल, तिब्बत (चीन अधिकृत) और भूटान में भी पाया जाता है। यह एक दुर्लभ जड़ी है, जिसे खोजने के लिए लोगों को उच्च हिमालयी क्षेत्रों में जाना होता है। ये लोग स्थानीय ही होते हैं, क्योंकि इन्हें ही क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति का पता होता है साथ ही इस जड़ी को यही लोग पहचान पाते हैं। 


औषधीय गुण 

कीड़ाजड़ी हिमालय की एक बहुमूल्य और रहस्यमयी जड़ी है। जिसे 'हिमालयी सोना' भी कहा जाता है। प्राचीन काल से ही चीनी-तिब्बती चिकित्सा पद्धति में इसे शारीरिक और मानसिक शक्ति बढ़ाने, यौन शक्ति तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि के लिए उपयोग किया जाता रहा है। इसके कुछ विशेष औषधीय गुण इस प्रकार हैं -

  1. ताकत और स्टैमिना में वृद्धि: कीड़ाजड़ी को पुरुषों में ताकत और स्टैमिना की वृद्धि के लिए कारगर औषधि माना गया है। इसमें प्रोटीन, पेपटाइड्स, अमीनो एसिड, विटामिन बी-1, बी-2 और बी-12 जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। इस जड़ी की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसका प्रभाव तत्काल दिखने लगता है। विभिन्न रिपोर्ट्स के अनुसार खिलाड़ियों के डोपिंग टेस्ट में इसके सेवन को नहीं पकड़ा जा सका है। 
  2. रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि: कीड़ाजड़ी में विद्यमान विभिन्न पोषक तत्त्व शरीर के रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि के लिए आवश्यक मात्रा में पाए गए हैं। ये शरीर को विभिन्न प्रकार के रोगों से सुरक्षा करने में सहायक हैं। 
  3. यौन स्वास्थ्य: कीड़ाजड़ी को पुरुषों और महिलाओं के यौन स्वास्थ्य के लिए बेहद ही कारगर औषधि माना गया है। चीन और तिब्बत में इसका इस्तेमाल यौनोत्तेजक दवा की तरह काफी समय से किया जा रहा है। विभिन्न रिपोर्ट्स के अनुसार यह यौन क्षमता में वृद्धि और समस्याओं के सुधार के लिए बेहद उपयोगी है। इसी कारण कीड़ाजड़ी को 'हिमालयन वियाग्रा' भी कहते हैं। 
  4. कैंसररोधी गुण: कीड़ाजड़ी को जीवन रक्षक दवा माना गया है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और कैंसर रोधी गुण तत्व मौजूद हैं। जो कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोक सकते हैं। इस पर विस्तृत में और शोध किया जाना बांकी है।  
  5. हृदय और फेफड़ों का स्वास्थ्य: कीड़ा जड़ी को हृदय और फेफड़ों के उपचार में भी कारगर पाया गया है। यह रक्त प्रवाह को नियंत्रित करती है। इसके अलावा मधुमेह रोगियों के लिए भी इसे उपयोगी पाया गया है। 
{inAds}

कीड़ाजड़ी का आर्थिक महत्व 

वर्तमान में कीड़ाजड़ी सिर्फ अपने औषधीय गुणों के लिए ही नहीं, अपितु आर्थिक दृष्टि से भी अति महत्वपूर्ण है। हिमालयी इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए इसका संग्रहण इनकी आजीविका के प्रमुख स्रोतों में से एक हो गया है। मई-जून के महीने में जब हिमालयी क्षेत्रों में बर्फ पिघलने लगती है, तब लोग यहाँ जाकर इस बहुमूल्य जड़ी को खोजते हैं। हालांकि उन्हें इस संग्रहण में बेहद चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। 


कीड़ाजड़ी की कीमत 

आज के समय में कीड़ाजड़ी बेशकीमती जड़ी-बूटियों में से एक है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत करीब 18 से 25 लाख रूपये प्रति किलोग्राम है। लेकिन बाजार में इसकी उपलब्धता इसकी कीमत को निर्धारित करती है। वर्तमान में  भारत के कीड़ाजड़ी की मांग चीन, हांगकांग, सिंगापुर आदि देशों में है। 

{inAds} 


पर्यावरण पर प्रभाव 

कीड़ाजड़ी का अत्यधिक दोहन हमारे पर्यावरण को भी असर कर रहा है। लोग अधिक संख्या में इसे खोजने के लिए ऊँचे बुग्यालों की ओर जाने लगे हैं। जिससे यहाँ की प्राकृतिक वनस्पतियों और पारिस्थितिकी को बेहद नुकसान हो रहा है। वहीं कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो यहाँ आग तक लगा देते हैं। जो बेहद ही चिंताजनक है। सरकार को कीड़ाजड़ी के संग्रहण के प्रभावी नियम और कानून बनाने चाहिए। 


निष्कर्ष 

कीड़ाजड़ी (ओफियोकोर्डिसेप्स साइनेंसिस) हिमालय की एक प्रकृति प्रदत्त बहुमूल्य जड़ी है, जो विभिन्न रोगों के उपचार में कारगर सिद्ध हो रही है वहीं यह हिमालयी क्षत्रों में रहने वाले लोगों के लिए आय का एक अच्छा स्रोत भी बन चुका है। इसके विपरीत अत्यधिक दोहन के कारण हमारे पर्यावरण पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगा है। साथ ही कीड़ाजड़ी की अत्यधिक मांग होने के यह विलुप्ति के कगार पर है। इसके भविष्य के लिए हमें प्रभावी कदम उठाने की नितांत आवश्यकता है।  



अस्वीकरण: कीड़ाजड़ी (Caterpillar fungus) के औषधीय गुणों से सम्बंधित उपरोक्त जानकारी विभिन्न लेखों और रिपोर्ट्स के आधार पर लिखी गई हैं। उपयोग से पहले चिकित्सक सलाह अवश्य लें।