नंदा देवी मंदिर-अल्मोड़ा, जहाँ पूजा तारा शक्ति के रूप में होती है।

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Nanda Devi Temple Almora

आदिशक्ति भगवती की 6 अंगभूता देवियों में से एक 'नंदा देवी' उत्तराखंड और हिमालय के अन्य भागों में जन सामान्य की आराध्य हैं। यहाँ देवी को बेटी के रूप में स्थान दिया गया है। यहाँ विभिन्न स्थानों में नंदा के मंदिर हैं। इन्हीं में अल्मोड़ा स्थित 'नंदा देवी मंदिर' यहाँ के प्राचीन ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है। जिसका निर्माण चंद राजाओं के द्वारा करवाया गया था। यहाँ स्थापित नंदा देवी की प्रतिमा बधाणगढ़ से लाई गई है और माता की पूजा तारा शक्ति के रूप में होती है। आईये जानते हैं इस कुमाऊँ के इस मंदिर के बारे में -

उत्तराखंड के कुमाऊँ में मां नंदा देवी की पूजा सैकड़ों सालों से की जाती रही है, लेकिन चंद शासकों के शासनकाल में इसे व्यापक स्वरूप मिला। 1670 ई. में कुमाऊं के चंद वंशीय शासक बाज बहादुर चंद बधाणगढ़ के किले से नंदादेवी की प्रतिमा को अल्मोड़ा लाए। इस प्रतिमा को उन्होंने अपने मल्ला महल (वर्तमान कलक्ट्रेट) में प्रतिष्ठित करके अपनी कुलदेवी के रूप में पूजना शुरू किया।

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बधाणगढ़ से नंदादेवी की प्रतिमा लाए थे चंद राजा

कत्यूरी, चंद और गढ़वाल के नरेश नंदा को कुल देवी के रूप में पूजते रहे। नंदा गढ़वाल और चंद राजाओं के राजकुल की बहन-बेटी के रूप में भी मानी जाती थी। एडकिंशन गजेटियर के मुताबिक 1670 ई. में बाज बहादुर चंद बधाणगढ़ से नंदादेवी की प्रतिमा अल्मोड़ा लाए और अपने मल्ला महल में प्रतिष्ठित की। जिस परिसर में वर्तमान नंदादेवी मंदिर स्थित है उस स्थान पर 1690-91 में तत्कालीन नरेश उद्योत चंद ने दो शिव मंदिर उद्योत चंद्रेश्वर और पार्वतेश्वर बनवाए। बाद में इन्हीं मूर्तियों को इन मंदिरों में प्रतिष्ठित कराया गया। चंद शासकों के काल की मूर्तियां अब कहां हैं इसके बारे में भी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है।


जब कमिश्नर ट्रेल की आंखों की रोशनी घटी

मल्ला महल (वर्तमान कचहरी) में जो नंदादेवी की मूर्तियां प्रतिष्ठित थीं उन्हें अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान 1815 ई. के कुछ साल बाद में तत्कालीन कमिश्नर ट्रेल ने उद्योत चंद्रेश्वर मंदिर में रखवा दिया। किंवदंती यह भी है कि तत्कालीन कुमाऊं कमिश्नर ट्रेल जब हिमालय के नंदादेवी चोटी की तरफ गए तो उनकी आंखों की रोशनी अचानक काफी कम हो गई। बताया जाता है कि इसके बाद कुछ लोगों की सलाह पर उन्होंने अल्मोड़ा आकर नंदादेवी को वर्तमान मंदिर में स्थापित करवाया।

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चंद राजवंश तांत्रिक विधि से करते हैं पूजा

नंदाष्टमी के अवसर पर अल्मोड़ा में नंदादेवी की पूजा तारा शक्ति के रूप में होती है। यह पूजा तांत्रिक विधि से होती है और चंद शासकों के वंशज ही इस पूजा को कराते हैं। इसे आगमोत्त्क पद्धति कहते हैं। स्व. राजा आनंद सिंह तंत्र विद्या में काफी पारंगत माने जाते थे। उनके निधन के बाद नंदादेवी की पूजा पद्धति में काफी परिवर्तन आ चुका है। आज भी चंद शासकों के वंशज नंदाष्टमी के मौके पर परंपरा के मुताबिक तांत्रिक पूजा करवाते हैं। यह पूजा तारा यंत्र के सामने होती है। तारा यंत्र राज परिवार अपने साथ लेकर आता है।

कुमाऊँ में नंदा देवी के प्रसिद्ध मंदिर 

कुमाऊँ में नंदा देवी के अनेक स्थानों में मंदिर हैं, जहाँ भाद्रपद की नंदाष्टमी को देवी की पूजा का आयोजन होता है। यहाँ नंदा के कुछ प्रसिद्ध मंदिर निम्नांकित हैं।  


नोट : नंदा देवी मंदिर अल्मोड़ा से सम्बंधित यह जानकारी स्व.दीप जोशी के आलेख के आधार पर लिखी गई है।