हरेला के दिन उत्तराखंड में क्यों करते हैं वृक्षारोपण ?
हरेला त्योहार पर वृक्षारोपण की परंपरा | फोटो : वृक्षमित्र श्री किशन सिंह मलड़ा |
उत्तराखंड में हरेला का त्यौहार ( Harela Festival) बड़े धूमधाम और हर्षोल्लाष के साथ मनाया जाता है। जिसे हर साल सावन महीने की संक्रांति के दिन ही मनाने की परम्परा है। प्रदेश के कुमाऊँ में इस दिन हरेले का पूजन होता है। इस अवसर पर भगवान शिव और उनके परिवार के डिकारे बनाकर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही इस दिन यहाँ वृक्षारोपण करने की परम्परा है। जिसे हर परिवार द्वारा अनिवार्य रूप से करना होता है। आईये जानते हैं हरेला के दिन उत्तराखंड में वृक्षारोपण क्यों किया जाता है ?
हरेला पर्व पर खासकर कुमाऊँ में हरेले का पूजन होता है और हरेले के तिनड़ों को 'जी रये, जागी रये, यो दिन-यो बार भ्यटनै रये। .... के आशीर्वचनों के साथ शिरोधारण करवाया जाता है। इस दिन घरों में लोक पकवान बनाये जाते हैं। सभी लोग परिवार के संग इन पकवानों का आनंद लेते हैं। फिर दोपहर बाद लोग अपने घरों के आसपास अपनी खाली जमीनों में वृक्षारोपण करते हैं। जिसमें फल, छायादार, चारापत्ती वाले पौधों का रोपण किया जाता है।
हरेला के दिन ही लोग अधिकतर वृक्षारोपण क्यों करते हैं, इसके पीछे एक मान्यता है। कहा जाता है कि हरेला के दिन लगाया गया पौधा कभी नहीं मरता है। जिस पेड़ की पौध तैयार करना मुश्किल होता है, उस पेड़ की एक शाखा को हरेला के दिन रोप दिया जाए तो उसमें कलियाँ निकल आती हैं और वह बड़े वृक्ष का रूप धारण करता है। वहीं इस दिन पौधा रोपण को शुभ माना जाता है। पौधा रोपण की यह परम्परा प्रत्येक परिवार द्वारा निभाई जाती है।
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वर्षा ऋतु होने के कारण इस दौरान मिट्टी में पर्याप्त नहीं रहती है। जो एक नए पौधे के विकास के लिए उपयुक्त रहता है। वहीं इस दौरान एक पौधे के देखभाल की जरुरत भी कम रहती है। वह इस दौरान अपनी जड़ें गहरी कर लेता है और धीरे-धीरे एक बड़े पेड़ का रूप धारण कर लेता है।
वर्तमान में पूरा विश्व ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से जूझ रहा है। कहीं सूखा तो कहीं अतिवृष्टि है। वनों के बेतहाशा कटान से पर्यावरण असंतुलन की समस्या पैदा हो गई है। इसके विपरीत उत्तराखंड के पर्वतीय अंचल के निवासियों ने सदैव प्रकृति का सम्मान किया और उनके सम्मान में पर्व और उत्सव मनाये। हरेला भी उनमें से एक है। यह पर्व यहाँ के रहवासियों द्वारा सदियों से मनाया जा रहा है। जिसमें वृक्षारोपण करने की अनिवार्यता है।
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हरेला पर्व की महत्ता को देखते हुए प्रदेश के विभिन्न जनपदों में इसे वृक्षारोपण दिवस के रूप में मनाया जाने लगा है। लोगों को इस दिन विभिन्न विभागों द्वारा मुफ्त में पौधे उपलब्ध कराये जाते हैं। प्रदेश सरकार द्वारा वर्तमान में हर साल लाखों पौधे भी लगाए जाते हैं।
यह थी हरेला त्यौहार पर वृक्षारोपण की परम्परा पर यहाँ के लोगों की मान्यता। आप भी इस पर्व के दौरान अपने आसपास एक या एक से अधिक पौधे का रोपण अवश्य करें। ध्यान रहे अगले हरेला तक एक पौधे की रखवाली आपको खुद करना होता है। तभी इसका पुण्य प्राप्त होता है।