Phooldei 2025 | उत्तराखंड का फूलदेई त्यौहार: प्रकृति का उत्सव
उत्तराखंड का फूलदेई त्यौहार: प्रकृति का उत्सव |
Phooldei 2025: उत्तराखंड, देवभूमि, अपनी प्राकृतिक सुंदरता, समृद्ध संस्कृति और जीवंत त्योहारों के लिए जाना जाता है। इनमें से एक अनूठा त्यौहार है 'फूलदेई', जो बसंत के आगमन और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है। चैत्र मास की पहली तिथि को मनाया जाने वाला यह त्यौहार बच्चों का त्यौहार माना जाता है, जो प्रकृति के नवजीवन और वसंत ऋतु के आगमन का उत्सव मनाते हैं। यह त्यौहार उन्हें प्रकृति से जुड़ने और जीवन के प्रति आनंद का अनुभव करने का अवसर प्रदान करता है।
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फूलदेई का महत्व:
फूलदेई त्यौहार (Phooldei Festival) का महत्व अनेक रूपों में देखा जा सकता है। यह त्यौहार प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक तरीका है। वसंत ऋतु में, जब प्रकृति रंगों से भर उठती है, फूलदेई त्यौहार प्रकृति के इस सौंदर्य का उत्सव मनाने का अवसर प्रदान करता है।
यह त्यौहार बच्चों और बड़ों के बीच एकजुटता का प्रतीक भी है। बच्चे, रंग-बिरंगे फूलों की टोकरी लेकर घर-घर जाते हैं और लोकगीत गाते हैं। बदले में, उन्हें चाँवल, गुड़ और पैसे मिलते हैं। यह त्यौहार बच्चों को सामाजिक रीति-रिवाजों और लोकगीतों से परिचित कराने का एक अच्छा अवसर भी प्रदान करता है।
त्यौहार के रीति-रिवाज:
फूलदेई त्यौहार की रीति-रिवाजों में बच्चों का विशेष योगदान होता है। त्यौहार से एक दिन पहले, बच्चे रंग-बिरंगे फूलों को इकट्ठा करते हैं और उन्हें टोकरियों में भर लेते हैं। अगले दिन, सुबह-सुबह, बच्चे घर-घर जाकर फूल बरसाते हैं और लोकगीत गाते हैं। घर के लोग बच्चों को आशीर्वाद और उन्हें दक्षिणा देते हैं।
फिर शाम को दक्षिणा में मिले गुड़ और चाँवल के मिश्रण से लोक पकवान बनाया जाता है जिसे स्थानीय भाषा में 'साई' कहते हैं। लोग परिवार और आस-पड़ोस के लोगों के साथ मिलकर 'बालपर्व' के लोक पकवान का आनंद लेते हैं।
फूलदेई के फूल:
फूलदेई के दिन बच्चे अपने घरों के आसपास खिले फूलों को ही एकत्रित करते हैं। जिसमें मुख्यतः प्योंली, बुरांश, आड़ू और खुमानी के फूल, मेहल, बासिंग आदि के फूल प्रमुख होते हैं। इसके अलावा एक खूबसूरत फूल बच्चों की टोकरी की शोभा बढ़ाता है, उसे स्थानीय बच्चे भिटौर के फूल के नाम से जानते हैं।
फूलदेई त्यौहार का आयोजन:
फूलदेई त्यौहार का आयोजन कई क्षेत्रों में अलग-अलग तरीके से होता है। कुछ क्षेत्रों में, यह त्यौहार केवल एक दिन मनाया जाता है, जबकि अन्य क्षेत्रों में यह एक हफ्ते तक चलता है। त्यौहार के दौरान, बच्चे रंग-बिरंगे कपड़े पहनते हैं और फूलों की टोकरी लेकर घर-घर जाते हैं। वे लोकगीत गाकर घर की दहलीज पर फूलों की वर्षा करते हैं।
फूलदेई के लोकगीत:
फूलदेई त्यौहार पर बच्चे लोकगीत गाते हुए गांव के हर घर तक जाते हैं। वहां वे घर की देहरी (दहलीज) पर 'फूलदेई छम्मा देई' गीत गाते हुए अपने आशीर्वचन देते हैं। फूलदेई गीत के बोल इस प्रकार हैं -
दैंणी द्वार, भर भकार
यो देली सौं, बारम्बार नमस्कार
फूले द्वार, फूलदेई फूलदेई
फूलदेई पर्व क्यों मनाया जाता है?
त्यौहार का प्रभाव:
निष्कर्ष:
फूलदेई त्यौहार उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह त्यौहार प्रकृति के प्रति कृतज्ञता, बच्चों और बड़ों के बीच एकजुटता और सामाजिक रीति-रिवाजों का प्रतीक है। यह त्यौहार न केवल उत्तराखंड में, बल्कि देश के अन्य भागों में रहने वाले उत्तराखंड के संस्कृति प्रेमी भी मनाने लगे हैं।
यह त्यौहार हमें प्रकृति से जुड़ने और जीवन में खुशियां लाने का संदेश देता है।
अतिरिक्त जानकारी:
- फूलदेई त्यौहार को 'फूल सग्यान', 'फूल संग्रात' या 'मीन संक्रांति' के नाम से भी जाना जाता है।
- यह त्यौहार उत्तराखंड के सभी क्षेत्रों में मनाया जाता है, लेकिन कुमाऊं और गढ़वाल में इसकी विशेष धूम रहती है।
- फूलदेई त्यौहार को 'बच्चों का त्यौहार' भी कहा जाता है क्योंकि इसमें बच्चों की मुख्य भूमिका होती है।
फूलदेई त्यौहार 2024: उत्तराखंड में इस वर्ष फूलदेई का त्यौहार गुरूवार, 14 मार्च 2024 को मनाया जा रहा है। इस दिन सौर माह चैत्र की पहली तिथि है। इस दिन से बसंत ऋतु प्रारम्भ हो जायेगी।
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