75+सुप्रसिद्ध कुमाऊंनी होली गीतों का संग्रह-बड़ावे की होली
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Kumaoni Holi Lyrics |
कुमाऊँ में होली गायन की अनूठी परंपरा है। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां खड़ी होली की धूम मचती है वहीं शहरों में बैठकी होली गायन की विशेष परंपरा है। होली गायन में महिलाएं भी पीछे नहीं रहती हैं। होली गायन पौष महीने के पहले रविवार से शुरू होती है जो टीके के दिन तक अविरल चलती रहती हैं। पौष माह के पहले रविवार को गाई जाने वाली होली को निर्वाण की होली कहा जाता है।
बसंत पंचमी तथा शिवरात्रि से रोज बैठकी होली होने लगती है। शिवरात्रि को शिव की होली गाई जाती है। वहीं खड़ी होली चैत्र शुक्ल पक्ष की एकादशी से गाई जाती है। इस दिन कदंब के पौध पर चीर बंधन किया जाता है। खड़ी होली की खास बात है कि वह चीर बंधन के बाद ही गाई जाती है जबकि बैठकी होली पौष महीने से गाई जाती हैं। चीर बंधन गांव के एक जगह पर सामूहिक रूप से बांधी जाती है। होल्यारों पर लाल, हरा, पीला तथा नीला रंग छिड़का जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में होल्यार घर-घर जाकर होली के गीतों का गायन करते हैं। छरड़ी के दिन सभी होल्यारों को आशीर्वाद बचन दिया जाता है। गांव में घर-घर चीर के टुकड़े के साथ कहीं गुड़ तो कहीं आटे से बना हलवा भी दिया जाता है। होली गायन में महिलाएं भी पीछे नहीं रहती हैं। वह भी टोलियां बनाकर होली के गीतों का गायन करती हैं।
स्वांग होली का खास आकर्षण होता है :
पहाड़ों में जहां होली गायन अपने आप में विशेष परंपरा है वहीं होली में रचा जाने वाला स्वांग भी खास आकर्षण होता है। स्वांग में जहां महिलाएं पुरुषों के कपड़े पहनकर किसी खास का अभिनय करती हैं तो पुरुष भी साड़ी धोती पहनकर नृत्य करते हैं। स्वांग देखने के लिए लोग आतुर रहते हैं। स्वांग रचने वाला किसी का भी अभिनय कर सकता है। इस बात का कोई बुरा भी नहीं मानता है। होली के बाद सब सामान्य हो जाता है।
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कुमाऊंनी होली गीत संग्रह
यहाँ कुमाऊँ के प्रसिद्ध होली गीतों का संग्रह पिथौरागढ़ निवासी श्री बिपिन चंद्र जोशी जी द्वारा किया गया है। जिसमें आप कुमाऊँ के 83 सुप्रसिद्ध होली गीतों के बोल पढ़ सकते हैं।
- शिव दरशन दे शिव दरशन दे हो जटाधारी
- घनश्याम मुरत का भजन करो
- तुम तो भई तपवान कालिका कलयुग में अवतार भई
- हमें उतारो पार मलहार हमसे उतराई ले लिजो
- कठिन तपस्या किन्ही भगीरथ भगीरथ गंगा ले आये
- होली खेलें पशुपति नाथ मिलकर बागा में
- दरसन दे महामाय अम्बा धन तेरो
- जैसे जल बिन मछली तड़प-तड़प प्यारे मैं ना जियुं रद्युनाथ बिना
- तुम भक्तन के हितकारी हरि
- कूरूक्षे़त्र कौरव पाण्डव को
- कुण्डलपुर के राजा भिष्मक नाम कहाय
- राजा बलि छलने राजा बलि छलने को
- घर लौटी चलो रघुनाथ अयोध्या सोने की
- तल धरती पुर बादल बादल उपजो बयार
- ऐसी पति विरत नारि सुलोचना सति भई बालम संग में
- मेरी पडि गै भॅवर बिच नाव गंगा सागर में
- गई असुर तेरी नारी मन्दोदरी सिया मिलन गई बागा में
- शिव मन में रमा रम रम ही गयो
- भजु दशरथ नन्दन जनक ललि
- घर लौटी चलो भगवान भरत मेरी प्रजा को दुख मत दिजो
- हरिया पंख मुख लाल सुवा बोलिया जन बोले बागा में
- उठ भारत हो उठ भारत राम मिलन आये उठ भारत हो
- सत्य धरम मत छोड़ो लला भव सागर से तर जाओगे
- जय बोलो यशोदा नन्दन की
- बचो बचो भरत के लोग कलयुग
- सुमिरो सिता राम भया कोई हीरा जनम नहीं पाओगे
- दधि लुटे नन्द को लाल बेचन ना जहियो
- परण भयो राजा राम जनकपुर परण भयो
- यौवना पडी गयो लूट न्याय नहीं मथुरा नगरी
- गोरी प्यारो लगै तेरो झनकारो
Kumaoni Holi Lyrics