जागेश्वर धाम: इतिहास, वास्तुकला, धार्मिक महत्व और दर्शन।

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उत्तराखंड, जिसे देवभूमि भी कहा जाता है, प्राचीन मंदिरों और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। इसी देवभूमि में स्थित है जागेश्वर धाम, जो भगवान शिव का एक पवित्र तीर्थस्थल है। यह अल्मोड़ा जिले में, समुद्र तल से लगभग 1870 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। भगवान विष्णु द्वारा स्थापित जागेश्वर धाम 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है और यहाँ भगवान शिव 'जागेश्वर' के रूप में विराजमान हैं। जागेश्वर को पुराणों में हाटकेश्वर और भू-राजस्व लेखा में पट्टी पारूण के नाम से जाना जाता है। पतित पावन जटागंगा के तट पर समुद्रतल से लगभग 6200 फुट की ऊंचाई पर स्थित पवित्र जागेश्वर की नैसर्गिक सुंदरता अतुलनीय है। 

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इतिहास:

जागेश्वर धाम का इतिहास 7वीं और 8वीं शताब्दी का माना जाता है। यह मंदिर कत्यूरी राजाओं द्वारा बनवाया गया था। यहाँ 124 से अधिक छोटे-बड़े मंदिर हैं, जो विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित हैं। इनमें से मुख्य मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि आदि शंकराचार्य ने केदारनाथ धाम जाने से पहले जागेश्वर धाम का दौरा किया और कई मंदिरों का जीर्णोद्धार, पुनर्निर्माण किया। पहले यहाँ कैलाश मानसरोवर जाने वाले यात्री जागेश्वर धाम के दर्शन करते थे। यहाँ वे पूजा करके ही कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाते थे।  

वास्तुकला:

जागेश्वर धाम के मंदिरों की वास्तुकला अद्भुत और मनमोहक है। यहाँ मंदिर का निर्माण नागर शैली में हुआ है।  इन मंदिरों के निर्माण में बड़े-बड़े पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। मंदिरों के अंदर भगवान शिव के विभिन्न रूपों की मूर्तियाँ हैं। जागेश्वर धाम मंदिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के तहत एक विरासत स्थल के रूप में घोषित किया गया है। 

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धार्मिक महत्व:

जागेश्वर धाम हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। यहाँ भगवान शिव 'जागेश्वर' के रूप में विराजमान हैं। मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से भगवान जागेश्वर की पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। जागेश्वर ज्योतिर्लिंग में आपको भगवान शिव और मां पार्वती दोनों के दर्शन होते हैं। 

माना जाता है यहाँ भगवान शिव और सप्तऋषियों ने अपनी तपस्या की शुरुवात की थी। जागेश्वर धाम से ही सर्वप्रथम शिवलिंग पूजा की शुरुवात हुई थी। 

पूजा और दर्शन: 

जागेश्वर धाम में पहुंचे श्रद्धालुओं को परम्परा के अनुसार यहाँ पूजा करनी होती है। सर्वप्रथम मंदिर के पास ब्रह्म कुंड में स्नान करने के बाद, श्रद्धालुओं को सबसे पहले मुख्य ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने चाहिए, उसके बाद दक्षिण मुखी हनुमान नीलकंठ मंदिर, सूर्य मंदिर, नवग्रह मंदिर, पुष्टि माता मंदिर (देवी भागवत के अनुसार 83 शक्ति पीठ) के दर्शन करने चाहिए। उसके बाद मृत्युंजय मंदिर, हवन कुंड, लकुलिश मंदिर, तारकेश्वर मंदिर, केदारनाथ मंदिर, नवदुर्गा मंदिर। फिर बटुक भैरव मंदिर और कुबेर मंदिर जो ब्रह्म कुंड के पास स्थित है, वापस आते हैं।

पर्यटन:

जागेश्वर धाम न केवल एक धार्मिक तीर्थस्थल है, बल्कि यह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है। यहाँ का शांत वातावरण और प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को आकर्षित करती है। यहाँ पर्यटक मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं, आसपास के क्षेत्रों में घूम सकते हैं और प्रकृति का आनंद ले सकते हैं। आप यहाँ आयें तो बर्ड वॉचिंग जरूर करें। 

आकर्षण:

जागेश्वर धाम के मुख्य आकर्षणों में शामिल हैं:

  • जागेश्वर मंदिर: भगवान शिव को समर्पित मुख्य मंदिर।
  • मृत्युंजय मंदिर: भगवान शिव को समर्पित एक और महत्वपूर्ण मंदिर।
  • नंदा देवी मंदिर: ये मंदिर नंदादेवी को समर्पित है, जो उत्तराखंड की राज्य देवी हैं।
  • दंडेश्वर मंदिर: भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर।
  • जटागंगा नदी: मंदिरों के पास बहने वाली एक पवित्र नदी।
  • चंडी मंदिर: यह मंदिर देवी चंडी को समर्पित है, जो शक्ति का प्रतीक हैं।
  • लकुलिश मंदिर: यह मंदिर भगवान शिव के 24 वे अवतार माने गए लकुलिश को समर्पित है।    
  • कुबेर मंदिर: यह मंदिर भगवान कुबेर को समर्पित है, जो धन के देवता हैं।
  • सूर्य मंदिर : भगवान सूर्य को समर्पित मंदिर। 
  • बटुक भैरव मंदिर : बटुक भैरव को जल्द प्रसन्न होने वाले देवता हैं, इन्हें दुर्गा का पुत्र माना जाता है। 

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कैसे पहुंचें:

जागेश्वर धाम सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।

  • हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर में है, जो जागेश्वर धाम से लगभग 167 किलोमीटर दूर है।
  • रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम में है, जो जागेश्वर धाम से लगभग 125 किलोमीटर दूर है।
  • सड़क मार्ग: जागेश्वर धाम उत्तराखंड के सभी प्रमुख शहरों से बस द्वारा जुड़ा हुआ है।

कब जाएं:

जागेश्वर धाम साल भर खुला रहता है। यहाँ जाने का सबसे अच्छा समय मार्च से जून और सितंबर से नवंबर के बीच है।

ठहरने की व्यवस्था:

जागेश्वर धाम में ठहरने के लिए कई होटल और धर्मशालाएं उपलब्ध हैं। इसके अलावा आप नजदीक में अल्मोड़ा शहर आ सकते हैं। यहाँ आपको बजट के अनुरूप होटल मिल जायेंगे। 

जागेश्वर धाम एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, शांत वातावरण और प्राचीन मंदिरों के लिए जाना जाता है। यह धाम उन लोगों के लिए एक आदर्श स्थान है जो आध्यात्मिकता और शांति की तलाश में हैं।

अतिरिक्त जानकारी: