Kandali Festival of Uttarakhand - कंडाली महोत्सव -बुराई को नष्ट करने का प्रतीक पर्व।
Kandali Festival of Uttarakhand |
Kandali Festival of Uttarakhand: यूं तो नवरात्रि को देश भर में बुराई पर अच्छाई की जीत के रुप में मनाया जाता है। प्रतिवर्ष कुछ स्थानों पर रामलीला का मंचन होता है तो कहीं दुर्गा पूजा होती है। चीन और नेपाल सीमा से लगे सीमांत के चौदांस क्षेत्र में बारह वर्षो बाद बुराई का प्रतीक माने जाने वाली कंडाली वनस्पति को नष्ट किया जाता है। इसी के साथ आने वाले बारह वर्षो के लिये क्षेत्र को संभावित सभी संकटों से मुक्त होना माना जाता है।
- चार दिन तक चलता है कंडाली पर्व। जिसे स्थानीय लोग कंगडाली पर्व कहते हैं।
- कंडाली पर्व-पहले दिन की शुरुवात चिलमन से होती है।
- कंडाली पर्व-दूसरे दिन मैमसा होता है।
- कंडाली पर्व-तीसरे दिन होतीे है भगवान शिव की पूजा।
- कंडाली पर्व-चौथे दिन सभा होती है, जो एक संस्कार महोत्सव है।
- महाकुंभ की तर्ज पर 12 वर्ष में होता है कंडाली महोत्सव।
तहसील धारचूला की चौदांस पट्टी में रं संस्कृति के लोग बसते हैं, जो अपनी लोक संस्कृति और सामाजिक सद्भाव के लिये विख्यात है। इस क्षेत्र में मनाये जाने वाले प्रमुख त्यौहारों में स्यांड़ ठांड़ है, जो प्रतिवर्ष मनाया जाता है। इस त्यौहार में स्यंड़सै (शिव), गबला (गणेश) के अलावा ईष्ट, ग्राम देवताओं सहित पूर्वजों का आह्वान और पूजा अर्चना की जाती है। चार दिनों तक मनाये जाने वाले इस उत्सव में पहले दिन की उपासना चिलमन से शुरू होती है। चिलमन का मतलब तन और मन को पवित्र बनाना है। दूसरे दिन मैमसा होता है, जिसके तहत अपने पूर्वजों का गौरव गान कर उनसे मानसिक संबंध स्थापित करना होता है। (Kangdali Festival of Uttarakhand)
तीसरे दिन होतीे है भगवान शिव की पूजा। समाज के पुरुष और महिलाएं परम्परागत वेशभूषा धारण करती है। शिव के अलावा 14 देवताओं और 30 देवियों की पूजा होती है। चौथे दिन सभा होती है, जो एक संस्कार महोत्सव है। ठीक 12वें वर्ष में सभा के स्थान मनाया जाता है कंडाली त्यौहार (कंगडाली त्यौहार ), जो बुराई को नष्ट करने का प्रतीक है। इस पर्व पर चौदांस के नर नारी सभी पारम्परिक वेशभूषा में जंगलों में जाकर सामूहिक रूप से कंडाली पौधों का संहार करते हैं।
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महाकुंभ की तर्ज पर बारह वर्षो बाद मनाये जाने वाले कंडाली महोत्सव के लिये देश सहित विदेशों में रहने वाले चौदांसी लोग मय परिवार के घर पहुँचते हैं। चौदांस के सभी गांवों में इस पर्व तैयारियां जोर-शोर से होती है।
क्या है कंडाली पौधा
उच्च मध्य हिमालयी भू-भाग में पायी जाने वाली कंडाली वनस्पति एक पुष्पीय पौधा है। इस पौधे में प्रतिवर्ष एक फूल खिलता है। बारहवें वर्ष में बारह फूल खिल जाते हैं। इसी के साथ इसे क्षेत्र के लिये अभिशप्त मानते हुए सामूहिक रुप से नष्ट किया जाता है।
महिला के श्राप से अशुभ हुआ कंडाली
लोक परम्परा के अनुसार अतीत में इस क्षेत्र में रहने वाली महिला का इकलौता 12 वर्षीय पुत्र बीमार पड़ गया था, जिसका उपचार स्थानीय जड़ी-बूटी से करने पर वह स्वस्थ होने लगा। इसी क्रम में जब कंडाली के पौधे को भी औषधि के रुप में दिया गया तो लड़के की मौत हो गयी। जिससे खिन्न महिला ने अपने घर के पास उगे कंडाली के सभी पौधों को नष्ट कर श्राप दिया कि जिस प्रकार बारहवें वर्ष में उसका पुत्र छिन गया है ठीक उसी तरह बारहवें वर्ष में तेरा भी नाश हो। तभी से 12वें वर्ष में कंडाली पर्व (कंगडाली पर्व ) का आयोजन कर उसके पौधों को नष्ट किया जाता है।
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लेख - स्व श्री पंकज सिंह महर
Kangdali Festival 2023 Photo
अपने पारम्परिक वेशभूषा में रं समाज की एक वरिष्ठ महिला। |
Kandali Festival 2023 |
रं समाज की युवतियां अपने पारम्परिक परिधान में। |
गौरवशाली संस्कृति की एक झलक। |
हमें गर्व में अपनी संस्कृति पर- यही कहती हैं यह तस्वीर। |
कंडाली पर्व 2023 की एक खूबसूरत तस्वीर। फोटो साभार - श्री हेमंत पैन्यूली। |