'खोल दे माता खोल भवानी धरमा केवाड़ा': एक लोकप्रिय कुमाऊंनी झोड़ा है, जो यहाँ की ईष्ट देवी माँ भगवती भवानी और भक्त के बीच का एक प्यारा सा रोचक संवाद है। जिसमें माता का भक्त उनके द्वार पर जाकर विनती करता है कि हे देवी ! आपका भक्त आपके द्वार पर आया है, आप अपने धाम के किवाड़ खोलकर मेरी भेंट को स्वीकार करें। भक्त की विनती पर माता उससे पूछती है कि हे बेटा ! आप क्या भेंट लेकर आये हो जो मैं अपने द्वार आपके लिए खोलूं। इस प्रश्न का उत्तर देते हुए भक्त कहता है कि मैं आपके धाम में फूल-पाती की भेंट लेकर आया हूँ। हे भवानी ! आप अपने किवाड़ खोलकर मेरी भेंट को स्वीकार करें।
इसी प्रकार भक्त और देवी भगवती के बीच संवाद होता है। जिसमें भक्त माता से कहता है कि वह उनके लिए दो जुड़वाँ निशाण (झंडे), चांदी के छत्र लेकर आया है। हे माता ! आप द्वार खोलकर स्वीकार करें।
खोल दे माता खोल भवानी.. झोड़ा कुमाऊँ में प्रचलित एक पुराना लोकप्रिय झोड़ा है जो आज भी देवी भगवती के प्रांगण में भक्तों द्वारा गाया जाता है। जिसमें महिलाएं और पुरुष गोल घेरा बनाकर हुड़के की ताल पर अपने पद संचलन के साथ गाते हैं। इस झोड़े में लोग अपने क्षेत्रीय परम्पराओं के साथ पंक्तियां जोड़ते जाते हैं। इस झोड़े की प्रचलित पंक्तियाँ इस प्रकार हैं -
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खोल दे माता खोल भवानी लिरिक्स
ओहो गोरी गंगा भागीरथी कौ के भलो रेवाड़ा।
ओहो धौली गंगा भागीरथी कौ के भलो रेवाड़ा ।।
ओहो खोल दे माता खोल भवानी धरमा केवाड़ा।
ओहो खोल दे माता खोल भवानी धरमा केवाड़ा ।।
ओहो की ल्यै रै छै भेट पखोवा क्यै खोलुँ केवाड़ा,
ओहो की ल्यै रै छै भेट पखोवा क्यै खोलुँ केवाड़ा ?
अहा फूल-पाती भेंट ल्यै यूँ तेरो दरबारा।
अहा फूल-पाती भेंट ल्यै यूँ तेरो दरबारा।
ओहो धौली गंगा भागीरथी कौ के भलो रेवाड़ा।
ओहो खोल दे माता खोल भवानी धरमा केवाड़ा।
अहा द्वी जौंया निशाण ल्यै यूँ तेरो दरबारा।
अहा ! द्वी जौंया निशाण ल्यै यूँ तेरो दरबारा।
ओहो धौली गंगा भागीरथी कौ के भलो रेवाड़ा।
ओहो खोल दे माता खोल भवानी धरमा केवाड़ा।
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चाँदी का छतर ल्यै यूँ तेरो दरबारा।
अहा ! चाँदी का छतर ल्यै यूँ तेरो दरबारा।
ओहो गोरी गंगा भागीरथी कौ के भलो रेवाड़ा।
ओहो खोल दे माता खोल भवानी धरमा केवाड़ा।
ओहो खोल दे माता खोल भवानी धरमा केवाड़ा ।।
ओहो फुल चढुलो, पाती चढुलो तेरो दरबारा।
ओहो पान सुपारी, नैरयो ल्यैयूँ तेरो दरबारा ।।
ओहो पान सुपारी, नैरयो ल्यैयूँ तेरो दरबारा ।।
ओहो खोल दे माता खोल भवानी धरमा केवाड़ा ।
ओहो खोल दे माता खोल भवानी धरमा केवाड़ा ।।
ओहो गोरी गंगा भागीरथी कौ के भलो रेवाड़ा।
ओहो धौली गंगा भागीरथी कौ के भलो रेवाड़ा ।।
द्वी जौंयां बकार ल्यैयूँ तेरो दरबारा ।।
अहा ! द्वी जौंयां बकार ल्यैयूँ तेरो दरबारा ।।
खोल दे माता खोल भवानी धरमा केवाड़ा।
ओहो खोल दे माता खोल भवानी धरमा केवाड़ा।
ओहो गोरी गंगा भागीरथी कौ के भलो रेवाड़ा।
ओहो धौली गंगा भागीरथी कौ के भलो रेवाड़ा ।।
ओहो खोल दे माता खोल भवानी धरमा केवाड़ा।
ओहो खोल दे माता खोल भवानी धरमा केवाड़ा ।।
यह थे कुमाउनी झोड़ा खोल दे माता, खोल भवानी के लिरिक्स। आशा है हमारा यह छोटा सा प्रयास आपके लिए महत्वपूर्ण होगा। माँ भवानी आप की मनोकामना पूर्ण करें।