लिंगुड़ा की स्वादिष्ट सब्जी: सही चुनाव और बनाने की पहाड़ी विधि
लिंगुड़ा - क्या है ?
पहाड़ों में मई और जून महीने के मध्य ठन्डे, नमीयुक्त और छायादार जगहों में एक जैविक पौधा अपने कोमल डंठलों और पत्तों के साथ उगता है जिसे उत्तराखंड और हिमाचल में लिंगुड़ा, लिंगुड़,लुंगडू या ल्यूड़ कहते हैं। यह एक जंगली जैविक फर्न प्रजाति का पौधा है। जिसकी नयी कोपलों और पत्तों की बेहद ही स्वादिष्ट सब्जी बनती है जो औषधीय गुणों से भरपूर भी होती है। लिंगुड़े की सब्जी का उपयोग पहाड़ों में दशकों से किया जाता आ रहा है। कुछ सालों पहले तक इस प्रकार के औषधीय गुणों से भरपूर खानपान ही पहाड़ी लोगों के हृष्टपुष्ट और निरोगी होने का फार्मूला था।
उत्तराखंड में प्रचलित लिंगुड़/ लिंगुड़ा नाम तिब्बती मूल का लगता है। इसे असम में ढेकी साग (dheki saag), सिक्किम में निंगरु (ningro vegetable), हिमाचल में लिंगरी (Lingari), बंगाल (दार्जिलिंग) में पलोई साग (paloi shak) और नेपाल में ल्यूँड़ो (Lyundo) कहा जाता है। मलेशिया में लिंगुड़ को पुचुक पाकू या पाकू तांजुंग नाम से जानते हैं, फिलिपीन्स में ढेकिया और थाईलैंड में इसे फाक खुट कहते हैं।
सही लिंगुड़े का चुनाव-
लिंगुड़े की सब्जी बनाने की पहाड़ी विधि-
सही लिंगुड़े (Linguda) का चुनाव कर इस पर लगे रोंये को बारीकी से साफ कर पानी में अच्छी तरह से धो लें। धोने के पश्चात लिंगोड़ों को काटने के बजाय हाथ से तोड़ तोड़कर टुकड़े करें। तोड़ते समय जो रेसे निकले उन्हें सभी निकाल दें। यानि इन्हें सब्जी में न डालें। सब्जी बनाने के लिए मुलायम डंठलों और घुमावदार हिस्से को ही उपयोग में लाएं साथ ही कुछ मात्रा में मुलायम पत्तियां भी अवश्य मिलाएं। सब्जी बनाने के लिए लोहे की कढ़ाई ही बेहतर है जिससे स्वाद में लाजबाव आता है। लिंगुड़े की सब्जी (lingad vegetable)बनाने के लिए सरसों के तेल की आवश्यकता होती है और तड़के के लिए सरसों के बीजों का उपयोग अनिवार्य है। जहाँ तक मसालों की बात है, लिंगुड़े की सब्जी में सामान्य सिलबट्टे में पिसे पहाड़ी मसाले जैसी धनिया, जीरा, लहसुन की कलियाँ, हल्दी, लाल मिर्ची आदि ही उपयोग में लाये जाते हैं।
लिंगुड़े की सब्जी (lingad vegetable) पहाड़ी विधि से बनाने के लिए एक लोहे का कढ़ाई लें और सरसों का तेल आवश्यक मात्रा में डालें। तेल गर्म होने पर सरसों के बीजों का डाल दें। उसके बाद तोड़े हुए लिंगुड़े डाल कर तब तक घुमाते रहें जब तक कि तेल सभी तोड़े हुए लिंगुड़ों में अच्छी तरह से मिल जाये। एक-दो मिनट तक धीमी आंच पर कढ़ाई पर चलाते हुए पकाएं। कुछ समय के लिए ढक्कन रख कर पकने के लिए छोड़ दें। फिर सिलबट्टे में पिसे हुए मसालों को गाढ़ा कर सब्जी में अच्छी तरह मिला लें और कुछ देर ढककर पकने को छोड़ दें। समय-समय पर चलाते रहें। यदि मसाले जल रहे हों तो हल्के पानी के छींटे मार लें। क्योंकि लिंगुड़े की सब्जी में पानी डालने की आवश्यकता नहीं होती है। सब्जी पकने पर सुगंध आने लगती है। सुगंध आने लगे तो आग बुझा दें और सब्जी को ढककर ही रखें। 5 मिनट के बाद आप स्वादिष्ट लिंगुड़े की सब्जी का आनंद ले सकते हैं।
औषधीय गुणों की खान है लिंगुड़ के सब्जी -
लिंगुड़े की सब्जी स्वादिष्ट ही नहीं अपितु उतनी ही पौष्टिक व औषधीय गुणों से भरपूर। पहाड़ों में ठंडे, छायादार और नमी वाले जगहों में पाई जाने वाली जैविक पौधे लिंगुड़, लुंगडू, लिंगड़ी या फिर लिंगड फर्न न केवल पौष्टिक सब्जी है बल्कि यह औषधीय गुणों से भी भरपूर है। लिंगड़े की हरी कोमल डंठल में विटामिन ए , विटामिन बी कांप्लेक्स , पोटाशिय, कॉपर, आयरन, फैटी एसिड, सोडियम, फास्फोरस, मैगनीशियम, कैरोटिन और मिनरल्ज भरपूर मात्रा में मौजूद हैं। पहाड़ी व्यजनों में इसका अचार भी बनाया जाता है। लिंगुड़े की कोमल हरी डंठल में एंटीआक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। बहुत ही स्वादिष्ट और गुणकारी होने के साथ-साथ ये पहाड़ों पर प्राकृतिक रूप में उगती हैं यानि ये प्रकृति प्रदत्त अनमोल उपहार हैं। (Lingdu Vegetable)
लिंगुड़े (Linguda) की सब्जी खाने से फायदे -
- वजन घटाने के लिए लिंगुड़े की सब्जी बेहद मददगार हो सकती हैं, क्योंकि इसमें फैट की मात्रा बिलकुल नहीं होती है।
- लिंगुड़े की सब्जी लोगों में इम्युनिटी बढ़ाने में बेहद ही कारगर सिद्ध हुई है।
- लिंगुड़े की सब्जी स्वस्थ रक्तचाप को बनाए रखने में मददगार है।
- लिंगुड़े शरीर को नई स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने में मदद कर सकते हैं।
- लिंगुड़े की कोमल हरी डंठल में एंटी आक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। इसकी सब्जी बनाकर या उबाल कर खाने से कैंसर जैसी घातक बीमारी में भी फायदा होता है।
- लिंगुड़े की सब्जी आपकी आंखों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकती है।
- डायबिटीज रोगियों के लिए लिंगुड़े की सब्जी रामबाण दवा है। प्राचीन काल में लोग लिंगुड़े की हरी कोमल गोलाकार डंठल का सेवन करते थे और डायबिटीज जैसी घातक बीमारी से दूर रहते थे। लिंगुड़े (फर्न) में मधुमेह, चर्म रोग सहित अन्य बीमारियों को भी दूर करने की क्षमता है।
- लिवर में होने वाली गड़बड़ को ठीक करने और आंतों में सूजन या आंतों से संबंधित बीमारियों को तुरंत ठीक करने में लिंगुड़े की हरी कोमल डंठल को हल्की आंच में उबाल कर खाने से तुरंत आराम मिलता है।