प्रसिद्ध गीत जै हो कुमाऊं, जै हो गढ़वाला के लिरिक्स।

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जै हो कुमाऊं, जै हो गढ़वाला-प्रस्तुत गीत श्री जनार्दन उप्रेती जी द्वारा रचित है, जिसमें उन्होंने उत्तराखंड के खूबसूरत अंचल कुमाऊँ और गढ़वाल का मनोहारी वर्णन किया है। लेखक ने चांदी के सामान दिखने वाले खूबसूरत हिमालय पर्वत, इन ऊँचे नीचे पर्वतों में देवी-देवताओं के थान यानि मंदिर, चारों धाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमनोत्री, शिव के कैलाश धाम, खूबसूरत पंचाचूली चोटियों, यहाँ की कल-कल, छल-छल करती गीत गाती गंगा नदी और पहाड़ के परम मित्र ठंडी हवा और ठंडे पानी का खूबसूरत वर्णन करते हुए कुमाऊं और गढ़वाल का जय-जयकार किया है।  


गणतंत्र दिवस 2023 के अवसर पर उत्तराखंड राज्य द्वारा कर्त्तव्य पथ पर दिखाई गई झांकी में इस गीत को थीम सांग के रूप में उपयोग किया गया था। ज्ञात हो उत्तराखंड की 'मानसखण्ड' पर आधारित झांकी को देश भर में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ था। 

Jai Ho Kumaon Jai Ho Garhwal Lyrics | जै हो कुमाऊं, जै हो गढ़वाला लिरिक्स- 

 

जै हो कुमाऊं, जै हो गढ़वाला,
धारा नौला छन, गंगा छ गाड़ा 
कतु भल लागौं मेरो पहाड़ा 
कतु भल लागौं मेरो पहाड़ा।

हिमाल कौ ह्युं लागूं छौ चांदी कौ सामान,
ऊंचा-नीचा डांणा काना देव देवतौं को थाना। 
देव देवतौं को थाना। देव देवतौं को थाना। 
देव देवतौं को थाना हो ..... 

जै हो कुमाऊं,  जै हो गढवाला,
धारा नौला छन, गंगा छ गाड़ा। 
कतु भल लागौं मेरो पहाड़ा 
कतु भल लागौं मेरो पहाड़ा। 

बदरी केदारनाथा, छ कैलाश धामा,
गंगोत्री-यमनोत्री पंचाचूली नाम। 
पंचाचूली नाम। पंचाचूली नाम। 
पंचाचूली नाम, पंचाचूली नाम हो ...... 

जै हो कुमाऊं,  जै हो गढ़वाला,
धारा नौला छन, गंगा छ गाड़ा 
कतु भल लागौं मेरो पहाड़ा 
कतु भल लागौं मेरो पहाड़ा। 

कल-कल, छल-छल गानी गंगा गीत 
ठंडी हवा, ठंडो पाणी पहाड़ों को मीत।
ठंडी हवा, ठंडो पाणी पहाड़ों को मीत। 
पहाड़ों को मीत। पहाड़ों को मीत। 
पहाड़ों को मीत, पहाड़ों को मीत हो.....  

जै हो कुमाऊं, जै हो गढ़वाला,
धारा नौला छन, गंगा छ गाड़ा 
कतु भल लागौं मेरो पहाड़ा 
कतु भल लागौं मेरो पहाड़ा। 

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