कुमाऊं का विवाहोत्सव निमंत्रण गीत - सूवा रे सूवा, बणखंडी सूवा।
उत्तराखंड के पर्वतीय अंचल में जीवन के विभिन्न संस्कारों को संपन्न कराते समय कुछ विशेष गीत गाये जाते हैं जिन्हें यहाँ शकुन आंखर (Shakun Aandkar), मांगल गीत (Mangal Geet), फाग (Faag) या संस्कार गीत कहते हैं। पिछले दिनों देश की उभरती गायिका मैथिली ठाकुर ने कुमाऊंनी शकुन आँखर 'सूवा रे सूवा, बणखण्डी सूवा। जा सूवा घर-घर न्यूत दी आ।' को आवाज दी। जो देश-विदेश में लाखों द्वारा सुना गया।
महिलाओं द्वारा गाया जाने वाला यह गीत उत्तराखण्ड के कुमाऊं अंचल का विवाहोत्सव निमंत्रण गीत है। जो कुमाऊं में विवाह की एक रस्म 'सुवाल पथाई' के समय गाया जाता है। जिसमें विवाहित बेटियों को निमंत्रण दिया जाता है। सुवा यानी तोता को प्रतीक बनाकर अपने विवाहित बेटियों के घर भेजा जाता है। गीत में सुवा कहता है-नौं न पछ्याणन्यू, मौ नि पछ्याणन्य़ूं, कै घर कै नारि दियोल अर्थात मैं नाम नहीं पहचानता हूँ, घर नहीं पहचानता हूँ, किस घर की नारी को निमंत्रण दूंगा ? तब तोते को बताया जाता है-राम चंद्र नु छु, अवध पुर गौ छु, वी घर की नारी न्यूत दी आ। यानी राम चंद्र उनका नाम है, अयोध्या उनके गांव का नाम है। उनके घर की नारी यानि सीता जी को निमंत्रण दे कर आना। इसी प्रकार अन्य देवताओं के घर तक निमंत्रण भेजा जाता है।
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सूवा रे सूवा, बणखंडी सूवा गीत के बोल -
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