आदिशक्ति स्वरूपा माँ नंदा भगवती मंदिर पोथिंग में पूजा सम्पन्न।
भगवती मंदिर पोथिंग में हर वर्ष भाद्रपद नवरात्रि में होने वाली पूजा पूर्ण सादगी के साथ संपन्न हो चुकी है। कोविड-19 के कारण उत्पन्न परिस्थितियों के कारण इस वर्ष माता की पूजा में सिर्फ पोथिंग गांव के लोग ही शामिल हो पाए। ग्रामीणों ने उचित सामाजिक दूरी बनाते हुए माता को चांवल, मक्का, ककड़ी, दाड़िम, फूल-पाती अर्पित किये और दर्शन लाभ अर्जित किया।
भगवती मंदिर पोथिंग (कपकोट) बागेश्वर |
मंदिर में प्रतिपदा तिथि को गेहूं भराई की पारंपरिक रस्म के साथ पूजा का शुभारंभ हुआ। रात्रि को ढोल-नगाड़ों की धुन पर भव्य आरती की गई। देवी भगवती, उनके धर्मभाई लाटू ने अपने डंगरियों में अवतरित होकर लोगों को दर्शन दिए। पंचमी तिथि को मुख्य मंदिर में सूक्ष्म रूप में देवी भगवती की पूजा आयोजित की गई। देश को इस कोरोना महामारी से निजात दिलाने और गांव की खुशहाली तथा इस महामारी से दूर रखने के लिए माता से मनौती मांगी गई। सायं 'डिकर सेवाना' की पारंपरिक और भावपूर्ण रस्म के साथ मंदिर के कपाट एक वर्ष के लिए बंद कर दिए गए।
इस मौके पर धामी भीम सिंह दानू, केदार दानू, भूपेश दानू, खुशाल कन्याल, कुंदन कन्याल आदि ने भक्तों को प्रसाद वितरित किया। पूजा के दौरान सरकार द्वारा निर्धारित सभी नियमों का पालन किया गया।
मंदिर में लगा 500 ग्राम वजनी पूड़ियों का महाभोग-
इस मौके पर धामी भीम सिंह दानू, केदार दानू, भूपेश दानू, खुशाल कन्याल, कुंदन कन्याल आदि ने भक्तों को प्रसाद वितरित किया। पूजा के दौरान सरकार द्वारा निर्धारित सभी नियमों का पालन किया गया।
मंदिर में लगा 500 ग्राम वजनी पूड़ियों का महाभोग-
यहां माँ नंदा को मोटी वजनी पूड़ियों का भोग लगाने की एक विशिष्ट परंपरा है। भोग की समस्त सामग्री ग्रामीणों द्वारा एकत्रित की जाती है। माता को अर्पित किए गेहूं को देवी घराट गडियार में पूर्ण विधि-विधान से पीसकर मंदिर में पहुंचाया जाता है। जिससे ये पूड़ियाँ बनाई जाती हैं। एक पूड़ी का वजन करीब 500 ग्राम तक होता है। इन्हीं पूड़ियों को माता को अर्पित कर भक्तों में वितरित किया जाता है। इस वर्ष भी पूर्ण सावधानी रखते हुए इन पूड़ियों का भोग माता भगवती को लगाया गया।
नहीं लगा पोथिंग का मेला
हर वर्ष नंदा अष्टमी को यहां एक विशाल जन समुदाय उमड़ पड़ता है। इस दिन एक मेला भी लगता है। जिसे लोग पोथिंग का मेला नाम से जानते हैं। दूर-दूर से व्यापारी वर्ग यहाँ पहुंचकर अपनी दुकानें लगाते हैं। यहां बागेश्वर के अलावा अल्मोड़ा, नैनीताल, पिथौरागढ़ और साथ ही गढ़वाल से भी मेलार्थी पहुंचते हैं। मौजूदा परिस्थितियों के कारण इस वर्ष यह मेला आयोजित नहीं हुआ।
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